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Note on Hindi Grammar 50+ composition - ppup part 1 Hindi composition 50 + notes pdf

 [ Note on Hindi Grammar 50+ composition - ppup part 1 Hindi composition 50 + notes pdf ] 


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Note on Hindi Grammar 50+ composition का परिचय 


Table of contents - संज्ञा	 सर्वनाम	 विशेषण	 उपसर्ग और प्रत्यय	 लिंग	 वचन	 पर्यायवाची शब्द	 विलोम शब्द	 मुहावरे और लोकोक्तियाँ	 वाक्य संशोधन	 निबंध-लेखन	 1. महात्मा गाँधी/राजेंद्र प्रसाद	 2. पर्यावरण प्रदूषण	 3. लोकतंत्र और छात्र राजनीति	 4. स्त्री सशक्तिकरण	 5. सोशल मीडिया	 6. जल, जीवन, हरियाली

संज्ञा 

संज्ञा  "किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान या भाव के नाम को संज्ञा कहते हैं।" माधारण भाषा में कहें तो किसी वस्तु, जगह, व्यक्ति या भाव का नाम संज्ञा कहलाता है। जैसे- पटना, बिहार, राम, हन, घर, बुराई, प्रेम आदि। इसमें पटना और बिहार स्थान के नाम हैं, राम और मोहन व्यक्ति के नाम हैं, घर वस्तु का नाम है और बुराई तथा प्रेम भाव के नाम हैं। पारंपरिक रूप से संज्ञा के पाँच भेद हैं- व्यक्तिवाचक, जातिवाचक, भाववाचक, समूहवाचक और द्रव्यवाचक।  1.व्यक्तिवाचक संज्ञा जिससे किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु या स्थान के नाम का बोध हो, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे- गंगा, राम, विहार, भारत, हिमालय आदि। जातिवाचक संज्ञा - जिन संज्ञाओं से एक ही प्रकार के वस्तुओं, स्थानों या व्यक्तियों का बोध हो उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।  यानी ऐसी संज्ञा से पूरी जाति का बोध होता है। जैसे- राम कहने से एक विशेष व्यक्ति का बोध होता है, तो यह व्यक्तिवाचक संज्ञा है।  जबकि मनुष्य कहने पूरी मानव जाति का बोध होता है तो यह जातिवाचक संज्ञा है। एक अन्य उदाहरण से समझें तो गंगा कहने से एक विशेष

2.नदी का बोध होता है, जो भारत में बहती है।  यानी गंगा व्यक्तिवाचक संज्ञा है। जबकि नदी कहने से इसमें गंगा, यमुना, नील, मिमीसिपी इत्यादि सभी नदियों का बोध होता है।  यानी नदी जातिवाचक संज्ञा है। जातिवाचक संज्ञा के अन्य उदाहरण-शहर, गाय, भैंस, लड़का, औरत, पर्वत आदि। भाववाचक संज्ञा - जिम संज्ञा से व्यक्ति या वस्तु के गुण या धर्म, दोष, आकार, अवस्था, 'के व्यापार, चेष्टा आदि का बोध होता है, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं। भाववाचक संजाएँ अनुभवजन्य होती हैं यानी इनको आप छू नहीं सकते।  इनका सिर्फ अनुभव कर सकते हैं। जैसे- क्रोध,

3.घृणा, बुढ़ापा, बचपन, लम्बाई, मिठास, बीमारी आदि। इस सबको आप स्पर्श नहीं कर सकते इन्हें सिर्फ आप मन में महसूस कर सकते हैं। 4.मूहवाचक संज्ञा – जिस संज्ञा से किसी व्यक्ति अथवा वस्तु के समूह का बोध हो, उसे समूहवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे- सभा, भीड, दन, गुच्छा, वर्ग, परिवार, घौद आदि। 5.द्रव्यवाचक संज्ञा - जिम संज्ञा से नाप-तौल वाली वस्तु का बोध हो, उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं। इन संज्ञाओं से ठोस, तरल पदार्थ, धातु, अधातु आदि का बोध होता है। जैसे सोना, चाँदी, लोहा, सब्जी, फल, चीनी, तेल, घी, दूध, पानी, गेहूं, चावल आदि।

3.घृणा, बुढ़ापा, बचपन, लम्बाई, मिठास, बीमारी आदि। इस सबको आप स्पर्श नहीं कर सकते इन्हें सिर्फ आप मन में महसूस कर सकते हैं। 4.मूहवाचक संज्ञा – जिस संज्ञा से किसी व्यक्ति अथवा वस्तु के समूह का बोध हो, उसे समूहवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे- सभा, भीड, दन, गुच्छा, वर्ग, परिवार, घौद आदि। 5.द्रव्यवाचक संज्ञा - जिम संज्ञा से नाप-तौल वाली वस्तु का बोध हो, उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं। इन संज्ञाओं से ठोस, तरल पदार्थ, धातु, अधातु आदि का बोध होता है। जैसे सोना, चाँदी, लोहा, सब्जी, फल, चीनी, तेल, घी, दूध, पानी, गेहूं, चावल आदि।

सर्वनाम - Note on Hindi Grammar 50+ composition

सर्वनाम  संज्ञा के बदले आने वाले शब्द को सर्वनाम कहते हैं। जैसे- वह तुम, हम, आप, मैं, कोई, यह, कौन, क्या, मुझे, मेरा, तू आदि। सर्वनाम के कुल छः भेद होते हैं - पुरुषवाचक सर्वनाम, निजवाचक सर्वनाम, निश्चयवाचक सर्वनाम, अनिष्चयवाचक सर्वनाम, संबंधवाचक सर्वनाम और प्रश्नवाचक सर्वनाम।  1. पुरुषवाचक सर्वनाम व्यक्तियों (स्त्री और पुरुष दोनों) के बदले आने वाले सर्वनाम को पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं। इसके तीन भेद हैं उत्तम पुरुष इस सर्वनाम का

कहते हैं। इसके तीन भेद हैं उत्तम पुरुष इस सर्वनाम का 	 2. निजवाचक सर्वनाम - इस सर्वनाम का प्रयोग कर्त्ता कारक स्वयं के लिए करता है। आप, स्वयं, खुद, स्वतः आदि इस सर्वनाम के उदाहरण हैं।  'आप' इस सर्वनाम का सबसे प्रचलित रूप है। जब किसी और को आदर देने के लिए आप का प्रयोग किया जाता है तो वह पुरुषवाचक सर्वनाम होता है।  लेकिन जब कर्त्ता स्वयं के लिए आप का प्रयोग करता है तो वह निजवाचक सर्वनाम होता है। इसे निम्नलिखित उदाहरण से समझें – आप आए बहार आई। (पुरुषवाचक सर्वनाम)

मैं आप ही चला जाऊँगा। (निजवाचक सर्वनाम) 3. निश्चयवाचक सर्वनाम - जिस सर्वनाम से किसी वस्तु या व्यक्ति अथवा पदार्थ के विषय में ठीक-ठीक और निश्चित ज्ञान हो (उसके दूर या पास होने का ज्ञान), उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे यह और वह यह निकट केलिए और वह दूर के लिए प्रयुक्त होता है। जैसे- वह आ रहा है। यह खायेगा। 4. अनिश्चयवाचक सर्वनाम जिम सर्वनाम से किसी निश्चित वस्तु या व्यक्ति का बोध न हो, उसे अनिचयवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे - कोई, कुछ।

कोई आया है। कुछ खाने को दो। 5. सम्बन्धवाचक सर्वनाम जिम सर्वनाम से वाक्य में किसी दूसरे सर्वनाम से सम्बन्ध स्थापित किया जाए, उसे सम्बन्धवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे- जो, मो। जो बोएगा, वह खोवेगा जो जागेगा, सो पायेगा 6. प्रश्नवाचक सर्वनाम जिस सर्वनाम का प्रयोग प्रश्न करने के लिए किया जाता है, उसे प्रश्रवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे - कौन, क्या? दरवाजे पर कौन आया है?

विशेषण  जो मंज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताए, उसे विशेषण कहते हैं। इससे मंज्ञा या सर्वनाम के रूप, गुण, आकार, प्रकार, संख्या, स्थिति आदि का बोध होता है।  विशेषण जिसकी विशेषता बताता है, उसे विशेष्य कहते हैं। जैसे खेत में सफेद गाय चर रही है। इस वाक्य में सफेद गाय का रंग - बता रहा है, यानी सफेद रंग गाय की विशेषता है। अतः यहाँ 'सफेद' विशेषण है और 'गाय' विशेष्य। विशेषण के मुख्यतः तीन भेद होते हैं :- सार्वनामिक विशेषण, गुणवाचक विशेषण और

विशेषण 

संख्यावाचक विशेषण  सार्वनामिक विशेषण- विशेषण के प्रयोग से विशेष्य का क्षेत्र सीमित हो जाता है। जैसे 'गाय' कहने से पूरी गाय जाति का बोध होता है लेकिन 'सफेद गाय' कहने से सिर्फ सफेद गायों का ही बोध होता है यानी यहाँ सफेद लगने से गाय जाति का क्षेत्र सीमित हो गया।  इसी तरह जब किमी सर्वनाम का मौलिक या यौगिक रूप किमी संज्ञा के पहले आकर उसका क्षेत्र सीमित कर देता है तो सार्वनामिक विशेषण कहते हैं। जैसे- यह गाय है, वह लड़का है आदि।

1.इन वाक्यों में यह और वह सर्वनाम का नहीं बल्कि सार्वनामिक विशेषण का कार्य कर रहे हैं। 2.गुणवाचक विशेषण - जो शब्द, संज्ञा या सर्वनाम के गुण, दोष, रंग, आकार, अवस्था, स्थिति, स्वभाव, दशा, दिशा, स्पर्श आदि का बोध कराए, उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं। इस विशेषण की संख्या सबसे अधिक क्योंकि इसका क्षेत्र व्यापक है। इसके कुछ मुख्य रूप, इस प्रकार हैं:-   गुणबोधक - अच्छा, बुरा, सुंदर, खराब आदि। स्वादबोधक - कड़वा, मीठा, कसैला, खट्टा आदि। अवस्था या दशाबोधक - गीला, सूखा, बूढा, जवान आदि।

कालबोधक - पुराना, नया आदि। स्थानबोधक - चीनी, पूरबी, उजाड़, चौरस, बिहारी आदि। आकारबोधक - गोल, लंबा चौड़ा, पतला आदि।  3.संख्यावाचक विशेषण - जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम के संख्या और परिमाण का बोध कराते हैं, उन्हें संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। संख्यावाचक विशेषण के तीन भेद हैं।  निश्चित संख्यावाचक विशेषण - इस विशेषण से वस्तु या पदार्थ अथवा व्यक्ति के निश्चित संख्या का बोध होता है। जैसे-तीन लड़के, चार घोड़े, बारह रुपए आदि।

अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण - इस विशेषण में वस्तु या पदार्थ या व्यक्ति की संख्या अनिश्चित रहती है। जैसे- कुछ हाथी, सब लड़के।  परिणामबोधक विशेषण- इस विशेषण से संज्ञा के माप या तौल का बोध होता है। जैसे- सवा मेर गेहूँ, एक किलो अनाज, पाँच टन लोहा आदि। इन विशेषणों के अलावा प्रविशेषण या अंतरविशेषण और तुलनात्मक विशेषण भी होते हैं। प्रविशेषण या अंतरविशेषण- विशेषण या क्रिया-विशेषण की विशेषता बताने वाले शब्दों को प्रविशेषण कहते हैं।

जैसे- राहुल बहुत बुद्धिमान है। इस वाक्य में बुद्धिमान शब्द स्वयं एक विशेषण है क्योंकि यह राहुल की विशेषता बता रहा है और बहुत शब्द यहाँ बुद्धिमान की विशेषता। अतः बहुत यहाँ प्रविशेषण है। नोट- क्रिया की विशेषता बनाने वाले शब्दों को क्रिया विशेषण कहते हैं। जैसे- श्याम धीरे-धीरे चलता है, इस वाक्य में धीरे-धीरे क्रिया-विशेषण है। तुलनात्मक विशेषण- इस विशेषण से दो या दो से अधिक संज्ञाओं या सर्वनामों के गुण-अवगुण की तुलना की जाती है। जैसे - राहुल रमेश से बुद्धिमान है, दिल्ली पटना से बड़ा है, नकुल सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी है आदि।

उपसर्ग और प्रत्यय - Note on Hindi Grammar 50+ composition

उपसर्ग और प्रत्यय  उपसर्ग वह शब्दांश या अव्यय है, जो किमी शब्द के आरंभ में जुड़कर उसका विशेष अर्थ प्रकट करता है। जैसे अवगत (अव+गत), विकार (वि + कार), प्रचार (प्र+चार) आदि। यहाँ अव, वि - और प्र उपसर्ग हैं। उप का अर्थ होता है ‘निकट; और सर्ग का अर्थ होता है ‘निर्माण करना’। यानी उपसर्ग वह शब्दांश कहलाते हैं जो किसी शब्द के निकट आकर नए अर्थ वाले शब्द की सृष्टि करते हैं।

उपमर्ग के ठीक विपरीत प्रत्यय की प्रकृति होती है। जो शब्दांश या अक्षर या अक्षरसमूह शब्द के अंत में जुड़कर उसके अर्थ में परिवर्तन लाते हैं, उन्हें प्रत्यय कहते हैं। जैसे - गानेवाला(गाना+ वाला), होनहार (होन+हार), शक्ति (शक्+ति), भलाई (भल+आई) आदि। यहाँ वाला, हार, नि और आई प्रत्यय  नोट : उपसर्ग और प्रत्य दोनों मूल शब्द में जुड़कर उसके अर्थ में परिवर्तन लाते है लेकिन उपसर्ग शब्द के पहले लगकर और प्रत्यय शब्द के अंत में लगकर उसके अर्थ में परिवर्तन लाता है। यही दोनों के बीच मूल अंतर है।

लिंग 

लिंग  लिंग का शाब्दिक अर्थ प्रतीक चिह्न या निशान होता है। संज्ञा (प्राणी और वस्तु दोनों) के जिस , रूप से उसकी पुरुष और स्त्री जाति का पता चलता है, उसे ही लिंग कहा जाता है।  हिंदी भाषा में दो लिंग होते हैं - पुल्लिंग और स्त्रीलिंग। पुल्लिंग से पुरुष जाति का और स्त्रीलिंग से स्त्री जाति का बोध होता है। यानी प्रत्येक संज्ञा या तो पुल्लिंग होगी या स्त्रीलिंग। भाषा की शुद्धता के लिए लिंग-ज्ञान आवश्यक है। लिंग-निर्णय करने का अभी तक कोई सामान्य नियम नहीं बना है। भाषा पर पकड़ और निरंतर अभ्यास

द्वारा ही किसी संज्ञा का सही सही लिंग-निर्णय किया जा सकता है। नोट: परीक्षा के दृष्टिकोण से यहाँ वाक्य प्रयोग द्वारा कुछ शब्दों का लिंग-निर्णय करके बताया जा रहा है, इन शब्दों का वाक्य प्रयोग द्वारा लिंग-निर्णय पिछले वर्षों में ली गई परीक्षाओं में पूछा जा चुका है।  उदाहरण -  लालच (पुल्लिंग) - लालच करना बुरा है।   ऑमू (पुल्लिंग) - ऑसू गिर रहे हैं।

मोती (पुल्लिंग) मोती चमकीला है।  बालू (स्त्रीलिंग) - यह बालू मोटी है।  भोर (पुल्लिंग) - भोर हो गया।  परीक्षा (स्त्रीलिंग) - परीक्षा टल गई।  खीर (स्त्रीलिंग) मैंने खीर खाई।  उन्नति (स्त्रीलिंग)- देश की उन्नति हो रही है।

वचन 

पुस्तक (स्त्रीलिंग) - मेरी पुस्तक अच्छी है।  प्रकृति (स्त्रीलिंग) इस स्थान की प्रकृति सुंदर है।  रुदन (पुल्लिंग) औरतों का सुनाई दे रहा है। वचन  शब्दों के जिस रूप से उसके एक या अनेक होने का बोध होता है, उसे वचन कहते हैं। यानी जिसमे शब्दों की संख्या का बोध हो, उसे वचन कहते हैं। हिंदी में दो वचन हैं- एकवचन और बहुवचन। एकवचन से एक संख्या का बोध होता है, जैसे लड़का, पुस्तक

आदि। बहुवचन से एक से अधिक संख्या को बोध होता है, जैसे- लड़के, पुस्तकें आदि।  एकवचन से बहुवचन बनाने के कुछ सामान्य नियम  1. पुल्लिंग संज्ञाओं के आकारान्त को एकारान्त कर देने से बहुवचन बनता है, जैसे- लड़का का लड़के, घोड़ा का घोड़े, कपड़ा का कपड़े आदि। 2. आकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों का बहुवचन अंत में लगा देने से बनता है, जैसे- शाखा का शाखाएँ कथा का कथाएं, अध्यापिका का अध्यापिकाएँ आदि।

3. अकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों का बहुवचन शब्द के अंत में 'अ' को कर देने से बनता है, जैसे गाय का गायें, रात का रातें, बहन का बहनें आदि।  4. इकारान्त या ईकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों के अंत में 'ई' का हस्त्र कर अंतिम वर्ण के बाद 'याँ' जोड़ने, यानी अंत में या 'ई' को 'इयाँ' कर देने से बहुवचन बनता है, जैसे तिथि का तिथियाँ, नारी का नारियाँ नीति का नीतियों आदि। 5. जिन लीलिंग शब्दों के अंत में 'या' आता है, उनमें 'या' के ऊपर चंद्रबिंदु लगाकर बहुवचन बनाया जाता है, जैसे चिड़िया का चिड़ियाँ, डिबिया का डिबियाँ आदि।

6. 'उ' और 'ऊ' से अंत होने वाले स्त्रीलिंग शब्दों के अंत में '' जोड़कर बहुवचन बनाया जाता है और अंत में 'ऊ' के रहने पर उसे ह्रस्व करके 'ऐं' जोड़ा जाता है, जैसे- बहू का बहुएँ आदि। 7. कुछ शब्दों के अंत में 'गण', 'वर्ग', 'जन', 'लोग', 'वृंद' इत्यादि जोड़कर भी बहुवचन बनाया जाता है, पाठक का पाठकगण, अधिकारी का अधिकारीवर्ग, बालक का बालवृंद आदि। 8. अकारान्त, आकारांत (संस्कृत शब्दों को छोड़कर) उकारांत, ऊकारांत तथा एकारांत शब्दों के अंत में 'अ', 'आ', 'ए' के स्थान पर 'ओ' करके बहुवचन बनाया जाता

है तथा शब्द के अंत में 'ऊ' के रहने पर इसे हस्त्र कर दिया जाता है। जैसे लड़का का लड़कों, घर का घरों, गधा का गधों, घोड़ा का घोड़ों, लता का लताओं, साधु का साधुओं, बधू का वधुओं आदि । 9. इकारान्त और ईकारान्त शब्दों का बहुवचन बनाने केलिए अंत में 'यों' जोड़ा जाता है और अंत में 'ई' रहने पर इसे 'इ' कर दिया जाता है, जैसे- मुनि का मुनियों, साड़ी का साड़ियों आदि। एक शब्द के कई तरह से बहुवचन बनते हैं, बहुवचन बनाने में वाक्य का ध्यान रखना आवश्यक है। जैसे- लड़का शब्द का दो तरह बहुवचन बनता है - लड़के और लड़का (इम तरह और भी उदाहरण हैं),

इस वाक्य प्रयोग द्वारा दोनों के बीच का अंतर समझें -  'लड़के जाते हैं'  'लड़कों ने खाना खाया'  ऊपर के वाक्य में लड़कों नहीं लिखा जा सकता और नीचे के वाक्य में लड़के नहीं। अगर नीचे के वाक्य में  लड़को की जगह लड़के लिखेंगे तो वह एकवचन का द्योतक होगा न कि बहुवचन का।

परीक्षा में अब तक पूछे गए शब्दों के बहुवचन -  वकील - वकीलों या वकीलवर्ग या वकीलगण  दर्शन - दर्शनों  साधु - साधुओं  गली – गलियों  बैल- बैलों

पर्यायवाची शब्द  जिन शब्दों के अर्थ में समानता हो, उन्हें पर्यायवाची शब्द कहते हैं। पर्यायवाची शब्द वैसे तो। अर्थ के दृष्टिकोण से समान होते हैं लेकिन उनमें प्रयोग के आधार पर सूक्ष्म अंतर भी होता है।  उदाहरण के लिए लम्बोदर और एकदंत, गणेश जी के लिए प्रयुक्त होने वाले पर्यायवाची शब्द हैं लेकिन लम्बोदर कहने से उनके उदर के लम्बे होने का बोध होता है और एकदंत उनके एक दाँत वाला होने का बोध कराता है।

विलोम शब्द - Note on Hindi Grammar 50+ composition

फिर भी तीनों शब्दों में एक ही देवता का बोध होता है। यही बात अन्य शब्दों के पर्यायवाची शब्दों के लिए भी लागू होती है। हिन्दी में पर्यायवाची शब्दों का विशाल भंडार है, यहाँ पूर्व की परीक्षाओं में पूछे जा चुके कुछ शब्दों के पर्यायवाची शब्द दिए जा रहे हैं।  [नोट: परीक्षा में सिर्फ एक ही पर्यायवाची शब्द लिखने को कहा जाता है लेकिन विद्यार्थियों के शब्द भंडार को विस्तृत करने के दृष्टिकोण से यहाँ एक से अधिक पर्यायवाची शब्द दिए जा रहे] जल पानी वारि, नीर मलिल, अंबु आदि । पृथ्वी धरती, भूमि, धरा, वसुधा, भू, आदि ।

आकाश - व्योम, अंबर, नभ, गगन, आसमान आदि। कमल – जलज, राजीव, सरोज, पंकज, अरविंद, पद्म आदि। स्त्री- औरत, नारी, महिला, वनिता, कांता आदि। सूर्य - रवि, मूग्ज, दिनकर, मार्तण्ड, भास्कर, सविता, आदित्य आदि। हवा अनिल, वायु, पवन आदि।  मानव मनुष्य, मनुज, मानुष, आदमी, ईमान आदि। ईश्वर भगवान्, देव, विधाता खुदा, प्रभु, जगदीश आदि। गणेश विनायक, लंबोदर, एकदंत, गजानन, गणपती आदि ।

माता - माँ, जननी, मातृ, अम्मा, मम्मी आदि। पेड़ वृक्ष, गाछ, तरु, द्रुम, विपट आदि। विलोम शब्द  एक-दूसरे से विपरीत या उल्टे अर्थ वाले शब्दों को विलोम या प्रतिलीम या विपरीतार्थक शब्द कहते हैं। विलोम शब्द में यह ध्यान रखना होता है कि मंज्ञा का विलोम संज्ञा और विशेषण का विलोम विशेषण ही होगा। पिछले वर्षों में पूछे गए और कुछ महत्वपूर्ण शब्दों के विलोम शब्द यहाँ दिए जा रहे हैं: अधकार - प्रकाश

मुहावरे और लोकोक्तियाँ

अमृत-विष उदय-अस्त  कठिन-सरल ज्ञान- अज्ञान भीतर-बाहर निंदा-प्रशंसा निंदा - प्रशंसा ग्रामीण - नागरिक उपजाऊ - बंजर

अपना - पराया प्रेम – घृणा आगमन - निर्गमन आयात - निर्यात मुगम - दुर्गम श्री - पुरुष रोगी - स्वस्थ आकर्षण - विकर्षण उपकार - अपकार पुरस्कार - दंड

वाक्य संशोधन - Note on Hindi Grammar 50+ composition

अल्पसंख्यक – बहसख्यक मुहावरे और लोकोक्तियाँ ऐमा वाक्यांश या पद-समूह जो वाक्य में प्रयुक्त होने पर अपने मामान्य अर्थ की जगह किसी और अर्थ को प्रकट करे, वह मुहावरा कहलाता है। कई लोग मुहावरों और लोकोक्तियों को एक ही समझ लेते हैं लेकिन दोनों में अंतर होता है। लोकोक्तियों या कहावतों के पीछे कोई कहानी या घटना होती है। उससे निकली बात लोगों की जुबान पर चढ़ जाती हैं। मुहावरे और लोकोक्तियों में एक अंतर यह होता है कि मुहावरे वाक्यांश होते हैं। बिना वाक्य के उनका कोई मतलब नहीं होता जबकि लोकोक्तियाँ अपने अर्थ को

पूर्ण रूप से स्पष्ट करनेवाले स्वतंत्र वाक्य होते हैं। दोनों के बीच दूसरा अंतर यह होता है कि मुहावरों का प्रयोग वाक्य में चमत्कार उत्पन्न करने के लिए होता है और लोकोक्तियों का प्रयोग अपनी बात को पुष्ट करने के लिए।  मुहावरे में शब्द की लक्षणा शक्ति का प्रयोग होता और लोकोक्तियों में व्यंजना शक्ति का, यानी लोकोक्तियाँ गंभीर व्यंग्य करने के लिए प्रयुक्त होती हैं। पिछले वर्षों में पूछे गए और कुछ महत्वपूर्ण मुहावरों और लोकोक्तियों के अर्थ यहाँ दिए जा रहे हैं: मुहावरे  आँखों का तारा होना - अत्यधिक प्रिय होना

निबंध लेखन 

हाथ मलते रह जाना - पछताना नाक में दम करना- परेशान कर देना कान भरना - पीठ-पीछे शिकायत करना पेट में चूहे दौड़ना तेज - भूख लगना एक ही थैले के चट्टे-बट्टे- सभी एक ही प्रकृति के होना  उल्टी गंगा बहाना- परंपरा या नियम के विपरीत काम करना सिर पर भूत सवार होना- धुन सवार होना, एक ही रट लगाना कान खड़े होना - होशियार या सावधान होना खून पसीना एक करना - बहुत अधिक परिश्रम करना

महात्मा गांधी / राजेन्द्र प्रसाद 

किताबी कीड़ा होना - बहुत अधिक पढ़ाई करना वाक्य संशोधन  वाक्य भाषा की सबसे महत्त्वपूर्ण इकाई है। वाक्य लिखते और बोलते समय कई बार गलतियाँ हो जाती हैं।  ये गलतियाँ वचन, लिंग, कारक-चिह्न, समास, विशेषण आदि के उचित स्थान पर प्रयोग न करने के कारण हो जाती हैं।  व्याकरण के दृष्टिकोण से वाक्य का शुद्ध होना जरूरी है। इसके लिए व्याकरण के सामान्य नियमों की जानकारी आवश्यक है।

वाक्य-संशोधन करते समय निम्नलिखित तथ्यों पर ध्यान देना आवश्यक है।  वाक्य में कम से कम परिवर्तन हो। ii. शब्दों का प्रयोग उनकी प्रकृति के अनुसार हो। वाक्य में पदों का क्रम नियमानुसार हो। IV. लिंग, वचन, कारक, पुरुष आदि का सही प्रयोग हो। V. एक ही अर्थ वाले दो अलग-अलग शब्दों का प्रयोग न हो। निबंध-लेखन  किसी विषय पर अपने भावों और विचारों को क्रमबद्ध ढंग से लिखना निबंध कहलाता है।

पर्यावरण प्रदूषण 

निबंध को लेख, आलेख आदि भी कहा जाता है। परीक्षा के दृष्टिकोण से निबंध लेखन अनिवार्य है, अतः किसी विषय पर निबंध लिखते समय विद्यार्थियों को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए: 1. उसी विषय का चयन करें, जिसपर आपकी पकड़ हो। 2. पूरे निबंध की भाषा और शैली एक जैसी हो। 3. निबंध में प्रवाह हो और व्याकरण के दृष्टिकोण से वाक्य शुद्ध हों। 4. यथासंभव छोटे एवं सरल वाक्यों का प्रयोग करें। 5. समय मीमा और शब्द सीमा का ध्यान रखें। 6. विरोधाभाषी बातों से बचें।

लोकतंत्र और छात्र राजनीति 

7. निबंध के शुरू में विषय के बारे में संक्षिप्त जानकारी दे दें, उदाहरण के लिए अगर प्रदूषण पर निबंध लिखना हो तो शुरुआत में ही प्रदूषण की परिभाषा दे दें। 8. भाव और विचार क्रमबद्ध हों। 9. निबंध के अंत में अपने विचारों को निष्कर्ष के रूप में अवश्य लिखें। अब तक की परीक्षाओं में निबंध लेखन में पूछे गए महत्वपूर्ण विषय और उनके प्रमुख बिंदु  1. महात्मा गाँधी/राजेंद्र प्रसाद परिचय, जन्म, माता-पिता, बचपन शिक्षा-दीक्षा, पेशा

स्त्री सशक्तिकरण 

स्वतंत्रता आंदोलन में उनका योगदान - चंपारण सत्याग्रह, सविनय अवज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन आदि।  (राजेंद्र प्रसाद पर लिखे गए निबंध में उनके देश के प्रथन राष्ट्रपति रहते हुए किए गए कार्यों का उल्लेख करें।) उनके प्रमुख विचार - (महात्मा गाँधी के संदर्भ में अहिंसा, सत्य, स्वदेशी आदि) मृत्यु भावी पीढ़ी के लिए महात्मा गाँधी/राजेंद्र प्रसाद का महत्व

जल, जीवन और हरियाली 

2. पर्यावरण प्रदूषण पर्यावरण का महत्व प्रदूषण क्या है प्रदूषण के प्रकार पर्यावरण प्रदूषण का मानव जीवन पर प्रभाव प्रदूषण से निपटने के उपाय, पर्यावरण रक्षा (प्रदूषण के प्रकारों जैसे- जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि पर भी निबंध लेखन आ सकता है। इन्हें भी थोड़े बहुत परिवर्तन के साथ ऊपर बताए गए बिंदुओं के अनुसार लिखेंगे।

3. लोकतंत्र और छात्र राजनीति लोकतंत्र की परिभाषा लोकतंत्र के लिए राजनीति का महत्व छात्रों का राजनीति में भाग लेना कितना जरूरी (पक्ष या विपक्ष में लिखें) छात्र राजनीति का आवश्यकता कितनी है लोकतंत्र के लिए छात्र राजनीति कितनी लाभकारी है? नोट- इस निबंध में छात्र राजनीति से निकले राजनेताओं के नाम दे सकते हैं।  स्वतंत्रता आंदोलन में छात्रों की भूमिका पर चर्चा कर सकते हैं। छात्र राजनीति को लेकर प्रमुख नेताओं के विचारों को व्यक्त कर सकते हैं। प्रमुख छात्र आंदोलनों का भी उल्लेख कर सकते हैं। 4. स्त्री सशक्तिकरण स्त्री-मशक्तिकरण की परिभाषा स्वी मशक्तिकरण की आवश्यकता स्त्री-सशक्तिकरण पर प्रमुख विचारकों एवं शास्त्रों के मत नारी आंदोलन एवं स्त्री सशक्तिकरण का संबंध समाज में स्त्रियों की स्थिति स्त्री सशक्तिकरण का महत्व एवं निष्कर्ष 5. सोशल मीडिया सोशल मीडिया की परिभाषा मोशल मीडिया के अंग सोशल मीडिया के उपयोग एवं दुरुपयोग मोशल मीडिया की आवश्यकता मोशल मीडिया का महत्व, निष्कर्ष के रूप में 6. जल, जीवन, हरियाली बिहार सरकार द्वारा शुरू की गई इस परियोजना पर इस बार निबंध पूछा जा सकता है।  इस निबंध के लिए सबसे पहले इस योजना के अंगों एवं इसे शुरू करने के पीछे के उद्देश्य को लिखें। शरावबंदी, बाल-विवाह उन्मूलन, दहेज प्रथा उन्मूलन आदि भी इस योजना के प्रमुख अंग हैं। इन कुरीतियों के सामाजिक दुष्प्रभावों का उल्लेख निबंध में जरूर करें। इस परियोजना के महत्त्व एवं आवश्यकता के बारे में बताएँ। कुछ अन्य प्रमुख विषय हैं- नोटबंदी, तीन तलाक, दहेज प्रथा, बाल-विवाह, शराबबंदी, आपका पसंदीदा पर्व, भ्रष्टाचार की समस्या आदि।  नोट - निबंध लेखन एक रचनात्मक कर्म है। इसमें लेखक के व्यक्तित्व की छाप होती है। अतः विद्यार्थियों को चाहिए कि वे प्रमुख विषयों पर अपने भावों और विचारों को अभिव्यक्त करें और भाषा को प्रवाहमय रखें।  निबंध लेखन में अपनी बात के पक्ष में मजबूत तर्क दें। परीक्षक इसी पर निबंध लेखन छात्रों का मूल्यांकन करते हैं।

संक्षेप में Note on Hindi Grammar 50+ composition 

मुझे आशा है कि Note on Hindi Grammar 50+ composition - ppup part 1 Hindi composition 50 + notes pdf इस पोस्ट को पढ़कर आपको वह मिल गया होगा , जिसकी आप तलाश कर रहे थे... और यदि आपके पास कोई प्रश्न है तो आप नीचे टिप्पणी कर सकते हैं ताकि हम आपको और सहायता प्रदान कर सकें।

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